Rom के प्रकार :-
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इस लेख में हमने Rom के प्रकार के बारेमे बताया हैं | आप इस लेख को पढके ROM के type के बारेमे जानकारी ले शकते हैं और अपना knowledge बढ़ा शकते हैं | तो चलिए इसके बारेमे जानते हैं |
रोम कम्प्यूटर मेसे जानकारी को पढने की सुविधा देती हैं | प्रोडक्टिविटी के समय उसमे सुचनाऐ और डाटा का संग्रह होता हैं | रोम एक प्रकार की स्थाई मेमोरी हैं | जिसमे जानकारी को हमेशा के लिए संग्रह किया जा शकता हैं |
कम्प्यूटर को बंद करने पर भी उसमे Enter की गई जानकारी स्टोर रहती हैं | रोम में स्टोर डाटा में सुधार नहीं किया जा शकता | या तो उसमे सुधार करना काफी कठिन होता हैं | रोम का प्रयोग ज्यादा तर ऐसे डाटा को स्टोर करने में प्रयोग होता जिसमे सुधार करना आवश्यक न हो |
बिजली का काप होने पर भी रोम में जानकारी स्टोर होती हैं जिसका अर्थ होता हैं वह परमानेंट और नॉन वालेताईल मेमोरी हैं |
नॉन वालेतईल मेमोरी के प्रकार :-
प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी (PROM)
इरेजेबल प्रोग्रमेबल रीड ओनली मेमोरी (EPROM)
इलेक्ट्रिकल इरेज़ेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी (EEPROM OR FLASH ROM)
इलेक्ट्रिक अल्टरेबल रीड ओनली मेमोरी (EAROM)
कुछ रोम नॉन वालेताइल हैं पर री-प्रोग्राम की जा शक्ती हैं | तो चलिए इस नॉन वोलेटाइल मेमोरी के बारेमे विस्तार से जानते हैं |
(1) प्रोग्रमेबल रीड ओनली मेमोरी (PROM) :- ये रोम का एक प्रकार हैं | जिसमे प्रोम रायटर नाम के खास ऐकम की मदद से डाटा प्रोग्राम को प्रोम की खाली चिप पर लिखा जाता हैं |
(2) इरेजेबल प्रोग्रमेबल रीड ओनली मेमोरी (EPROM) :- ये रोम का एक प्रकार हैं | इसके ऊपर लिखी गयी जानकारी पर अगर हम अल्ट्रावायोलेट रेस डालते हैं तो वह जानकारी मिटाई जा शकती हैं |
(3) इलेक्ट्रिकल इरेज़ेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी (EEPROM) :- जिस मेमोरी में जानकारी को मिटाने के लिए इलेक्ट्रिकल सिग्नल का प्रयोग होता हैं उसे EEPROM मेमोरी कहा जाता हैं |
(4) अल्ट्रावायोलेट इरेजेबल प्रोग्रमेबल रीड ओनली मेमोरी (UVEPROM) :- अल्ट्रावायोलेट किरणों का प्रयोग करके जानकारी मिटाई जा शकती है और री-प्रोग्राम भी की जा शकती हैं |
Conclusion :-
मुझे उम्मीद हैं की आपको मेरा यह लेख (Rom के प्रकार) जरुर पसंद आया होगा .मेरी हमेशा से ही यही कोसिस रही हे की में अपने आर्टिकल में वह सारी जानकारी include करू जो रीडर्स को चाहिए जिससे के उस आर्टिकल के सन्दर्भ में रीडर्स को किसी दूसरी site या internet में उस आर्टिकल के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही न रहे | इससे रीडर्स के टाइम की बचत होगी और एक ही जगह पे उन्हें सभी इनफार्मेशन भी मिल जाये |यदि आपके मनमे इस आर्टिकल को लेकर कोई भी doubt हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होना चाहिए तो आप निचे Comments कर शकते हैं | यदि आपको यह पोस्ट पसंद आया या कुछ सिखने को मिला तब कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे के facebook, Twitter, Instagram और pinterest पर शेयर जरुर करे |